पहली बार पंचायत चुनाव में निभाएंगे सक्रिय भूमिकाये स्थिती सिर्फ गोरखपुर के एक गांव की नहीं बल्कि जिले के पांच गांव, महराजगंज जिले के 18 वनटांगिया गांव, गोण्डा और बलरामपुर के पांच-पांच गांव की हैं. जिनको मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व ग्राम का दर्जा दिया. इन गांवों के निवासी पहली बार पंचायत चुनाव में सीधी और सक्रिय भूमिका निभाएंगे.मुख्यमंत्री की वजह से मिले कई अधिकार
पूर्वांचल में वनटांगियों के लिए सात दशक तक आजादी का वास्तविक मतलब बेमानी था. उनका वजूद राजस्व अभिलेखों में न होने की वजह से वह समाज और विकास की मुख्यधारा से कटे हुए थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर उन्हें आजाद देश में मिलने वाली सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराकर विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है. सीएम योगी ने प्रदेश में 35 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित किया है, जिससे वन क्षेत्रों में बसे इन वन ग्रामों के निवासियों को सड़क, राशन, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मूलभूत सुविधाओं से लाभान्वित किया गया है. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में 7,023 आवास मुसहर समुदाय को दिया गया है. मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से छूटे लाभार्थियों को 72,302 निःशुल्क आवास दिया गया है. इसमें 38,112 मुसहर वर्ग, 4,779 वनटांगिया 2,992 कुष्ठ रोग प्रभावित और 81 थारु जनजाति के लोग लाभान्वित हुए हैं.
गांवों में मिल रही ये सुविधाएं
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत 35 वनटांगिया ग्रामों में 5,973 शौचालय, 31 ग्रामों को विदयुत ग्रीड और 16 ग्रामों को सोलर प्रणाली से विदयुतीकृत किया गया है, जिससे 3172 परिवार लाभान्वित हुए हैं. वनटांगिया गांव के 131 दिव्यांगों को पेंशन, 2760 परिवारों को अन्त्योदय राशन कार्ड और 6039 गृहस्थी राशन कार्ड दिए गए हैं.
अंग्रेजों ने बसाए थे वनटांगिया गांव
वनटांगिया गांव अंग्रेजी शासन में 1918 के आसपास बसाए गए थे. मकसद साखू के पौधों का रोपण कर वनक्षेत्र को बढ़ावा देना. इनके जीवन यापन का एकमात्र सहारा पेड़ों के बीच की खाली जमीन पर खेतीबाड़ी. गोरखपुर में कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा में बसी इनकी बस्तियां 100 साल से अधिक पुरानी हैं. पूर्वांचल के अन्य वनग्रामों का इतिहास भी इतना ही पुराना है. जंगलों को आबाद करने वाले वनटांगियों को देश की आजादी के बाद भी जंगली जीवन बिताने को मजबूर होना पड़ा. सरकार के किसी भी कागज में इनकी हैसियत बतौर नागरिक नहीं थी. अस्सी और नब्बे के दशक के बीच तो इन्हें जंगलों से भी बेदखल करने की कोशिश की गई. 1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ वनटांगियों के संघर्ष के साथी बने और अपने संसदीय कार्यकाल में सड़क से सदन तक उनके हक के लिए आवाज बुलंद करते रहे. वनटांगियों से योगी की आत्मीयता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह 2009 से उन्हीं के बीच दिवाली मनाते हैं.
सीएम योगी ने लड़ी हक की लड़ाई
बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ को वनग्रामों में नक्सली गतिविधियों के इनपुट मिले, तो उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को इससे लड़ने का हथियार बनाया. गोरक्षपीठ से संचालित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद को उन्होंने गोरखपुर के वनटांगिया गांव जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन में शिक्षा का अलख जगाने की जिम्मेदारी सौंपी और गोरक्षनाथ चिकित्सालय को स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को लगाया. 2007 में इस वनग्राम में उन्होंने एक स्कूल खुलवाया, तो वन विभाग ने इसे अवैध और अतिक्रमित बताते हुए योगी के खिलाफ मुकदमा करा दिया था. हालांकि वन विभाग को बैकफुट पर आना पड़ा और वहां अस्थायी स्कूल बना. योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब वनग्रामों में सरकारी स्कूलों की सौगात है.
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