वाराणसी के मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया की रो-रो बोट का इस्तेमाल पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए भी किया जायेगा, जिससे सड़क पर ट्रैफ़िक का लोड कम होगा. रो-रो बोट और क्रूज़ सुबह व शाम को गंगा घाटों पर होने वाली आरती के समय तो चलेंगे ही, ये दिन में भी गंगा में चलेंगे. जिससे लोग अपने रोज़ के काम काज के लिया यात्रा कर सकें.
आय का कुछ अंश निषाद समुदाय की बेहतरी पर होगा खर्च: मंडलायुक्तउन्होंने बताया कि ये बोट पीपीपी मॉडल पर चलेंगी. इनसे होने वाली आय का कुछ अंश स्थानीय निषाद समुदाय के लोगों के वेलफेयर पर भी ख़र्च होगा. इसमें पर्यटकों के बैठने के साथ वाहन भी ले जाने की व्यवस्था है. यह एक खास तरह का क्रूज है, जो आसपास जनपदों में व्यापारिक गतिविधियों व पर्यटन के लिहाज से काफी सहूलियत भरा है. इसका संचालन राजघाट से संत रविदास घाट तक होगा. कोई चाहे तो विशेष टूर पैकेज के तहत बुक कर इसे शूल टंकेश्वर, कैथी चुनार आदि जगहों तक ले जा सकता है.100 लोगों की क्षमता वाला होगा क्रूज़
क्रूज को बुक भी करा सकेंगे पर्यटक.
क्रूज़ के कैप्टन व गोवा शिप के कंसल्टेंट सुरेश बाबू ने बताया कि दो मंजिल वाले इस क्रूज़ में नीचे का हिस्सा वातानुकूलित और पहली मंजिल सामान्य है. 100 लोगों की क्षमता वाला क्रूज़ 12 से 15 किलोमीटर की रफ़्तार से गंगा में चल सकेगा. 55 किलोमीटर प्रति घंटे से तेज रफ़्तार चलने वाली विपरीत हवा में भी क्रूज़ सुरक्षित चल सकता है. तेज बारिश भी इसका रास्ता रोक नहीं पाएगी. 35 टन के वजन वाली ये क्रूज़ 1 मीटर पानी में भी सुगमता से चलती है.
सुरक्षा के पुख्ता होंगे इंतजाम
क्रूज़ में काशी के घाटों का आनंद लेते समय आप काफी सुरक्षित रहेंगे. इसमें 4 ऐसी लाइफ राफ़्ट है जो किसी भी आपातकाल में स्वतः नदी में जाकर खुल जायेंगे और एक फ्लोटिंग टेंट के आकार का बोट बन जायेगा, जिसमें 20 लोग सवार हो सकते हैं. और ये एक हफ्ते तक खाने पीने के सामान के साथ पानी में तैर सकता है. इसके साथ प्रत्येक यात्री के लिए लाइफ जैकेट और लाइफ बॉय (tube) का भी इंतज़ाम है. डबल हल होने से भी ये अत्यधिक सुरक्षित और स्थिर रहती है.
रो-रो बोट में भी यात्रियों की सुरक्षा के लिए सभी उपकरण मौज़ूद हैं. क्रूज़ पर मौजूद ओपन रेस्टोरेंट में भी आप लज़ीज बनारसी व्यंजनों का भी स्वाद चख सकेंगे.
राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर आरबी सिंह ने बताया कि इसके क्रूज के अंदर की साज सज्जा में काशी का धार्मिक और अध्यात्म के नजारे के साथ ही यहां के धरोहरों का इतिहास भी दर्शाया गया है. साथ ही सैलानियों को जानकारी देने के लिए बड़ी स्क्रीन लगी है. इस पर ऑडियो वीडियो का संचालन होगा जिसमें अस्सी घाट से शुरू होकर आदिकेशव घाट तक के 84 घाटों के एरियल व्यू के साथ, घाटों के इतिहास, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व की जानकारी दिखाई जाएगी.
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