कुक्षी / (स्वस्तिक जैन) – जैन समाज के 23 वे तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ प्रभु की आराधना स्वरूप प्रतिमाह की वदी दशमी को होने वाले एकासने पुण्य सम्राट की असीम अनुकम्पा से सामूहिक रूप से निरंतर कई वर्षों से आयोजित हो रहे है।आराधना के अंतर्गत करीबन 70 से 80 आराधक प्रतिमाह एकासने का व्रत करते है उन सभी आराधकों को सामूहिक रूप से अलग अलग लाभार्थियों द्वारा एकासने की व्यवस्था की जाती है। आराधक नमस्कार महामंत्र का स्मरण कर एकासना प्रारम्भ करते है ।लाभार्थी परिवार द्वारा आराधकों के लिए उत्तम व्यवस्था की गई साथ ही सभी आराधकों से तप की शाता पूछी गई। दोपहर में महिला मंडल द्वारा पूजन पढ़ाई गई।इस उपलक्ष्य में बड़ा मंदिर जी के शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की मनमोहक अंग रचना की गई।

