घूसखोरी का अड्डा बना तहसील कार्यालय कर्नलगंज
तहसील में नहीं रुक रही रिश्वतखोरी, रजिस्ट्रार कानूनगो का लगातार दूसरा वीडियो वायरल
कर्नलगंज (गोण्डा)। जिले में जहां एक तरफ डीएम मार्कण्डेय शाही द्वारा रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के प्रति कड़ा प्रहार करते हुए जीरो टॉलरेंस की कार्यवाही अमल में लाकर सख्त तेवर अपनाते हुए भ्रष्ट कर्मियों को तत्काल प्रभाव से संस्पेंड कर वैधानिक कार्रवाई अमल में लाई जा रही है वहीं ठीक उसके विपरीत तहसील कर्नलगंज मे नवागत उपजिलाधिकारी की पहली पोस्टिंग होने के वजह से शायद प्रशासनिक अनुभव के अभाव में या उनकी दरियादिली के चलते जीरो टॉलरेंस कार्यवाही तहसील कर्नलगंज में प्रभावी ना होने से तहसील में तैनात एक निरंकुश रजिस्ट्रार कानूनगो का नाम इस वक्त काफी सुर्खियों में है।अभी चंद दिनों पूर्व तहसील के रजिस्ट्रार कानूनगो गिरीश चन्द्र सोनकर का रिश्वतखोरी का एक वीडियो वायरल हुआ था,जिसे संज्ञान लेकर उपजिलाधिकारी कर्नलगंज द्वारा नोटिस जारी कर जबाब माँगा था,उक्त मामले अभी थमा नहीं था कि उक्त घूसखोरी प्रकरण में जाँच के दौरान पूर्व में आरोपी तहसील कर्मी सोनकर का एक ही हप्ते में फिर घूसखोरी का वीडियो वायरल हुआ है। विदित हो कि जिम्मेदार आलाअधिकारियों द्वारा प्रथमदृष्टया वायरल संबंधित वीडियो का संज्ञान लेकर त्वरित सख्त विभागीय कार्यवाही निलम्बन और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कार्रवाई ना होने से बेखौफ होकर आरोपी कर्मचारी द्वारा भ्रष्टाचार,रिश्वतखोरी का जमकर खेल खेला जा रहा है। मामला तहसील कार्यालय कर्नलगंज का है जहां विगत सप्ताह सोशल मीडिया पर एक तहसीलकर्मी का खुलेआम रिश्वत लेते वीडियो वायरल हुआ था जिसमे साफ दिखाई पड़ रहा था कि रजिस्ट्रार कानूनगो गिरीशचन्द्र सोनकर द्वारा दाखिल खारिज के नाम पर घूस लिया जा रहा है। जिसकी जानकारी मिलते ही पूरे तहसील में हड़कंप मच गया।जिसमे काफी कशमकश के पश्चात नवागत उपजिलाधिकारी शत्रुहन पाठक ने मामले का संज्ञान लेते हुए आरोपी को नोटिस जारी कर जबाब माँगते हुऐ नायब तहसीलदार को जांच सौंप दी। उक्त प्रकरण में अभी जांच की ही जा रही थी कि तब तक उसी तहसील कर्मी के पटल से रिश्वतखोरी का दूसरा वीडियो वायरल होकर जनचर्चा का विषय बन गया। रविवार को उक्त राजस्वकर्मी का एक सप्ताह में ही घूसखोरी का दूसरा वीडियो वायरल हुआ है जिसने स्थानीय जिम्मेदार प्रशासनिक एवं तहसील स्तरीय अधिकारियों की सत्यनिष्ठा एवं कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।जबकि वहीं सूत्रों के अनुसार संबंधित पटल मलाईदार व कमाऊ होने से शायद स्थानीय अधिकारियों की दरियादिली और छत्रछाया में उक्त रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का धंधा फल-फूल रहा है। अब देखना यह है कि अधिकारी इसे कितनी गम्भीरता से संज्ञान में लेते हैं और क्या कार्यवाही करते हैं ?? यह भविष्य के गर्भ में है!!