सरस हाट का संचालन अविलम्ब कराएं विकास खण्ड अधिकारी, उपायुक्त स्वतः रोजगार
गोंडा
यह तो स्पष्ट है की सरकार जितना भी ढिंढोरा पीट ले लेकिन निचले स्तर के प्रशासनिक अधिकारी जो चाहेंगे वही होगा, योजना सरकार की कोई भी हो उसे धरातल पर लाने में यदि निचले स्तर का अधिकारी उदासीन है तो सरकार कुछ भी कर ले आम जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ कभी नही मिल सकता यह बात सिद्ध करती है उच्चन्यायलय के अधिवक्ता गणेश नाथ मिश्रा द्वारा मांगी गयी जन सूचना के जाबाव में दी गयी रिपोर्ट, दर असल तेरह वर्ष पहले सरकार द्वारा संचालित स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के अंतर्गत वर्ष 2008 में सभी ब्लॉकों में सरस हाट का निर्माण कराया गया था लाखों की लागत से बने सभी सरस हाट बाजारों का संचालन लम्बी अवधि के बाद भी सुनिश्चित ना कराये जाने की वजह से ना तो उसका लाभ लोगों को मिल पाया और ना ही स्थानीय विधायक और सांसद ने इस विषय में कभी विचार ही किया, जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते रोजगार से जुड़ी ये योजना पूरी तरह ध्वस्त होने की कगार पर है !
सरकारी धन का इस तरह बर्बादी होता देख सामाजिक कार्यों में विशेष रूचि रखने वाले हाईकोर्ट अधिवक्ता गणेश नाथ मिश्र ने इस पर रूचि दिखाई और मामले को जिला प्रशासन से लेकर सभी जिम्मेदार अधिकारियों से बात की और सरस हॉट का सञ्चालन कराये जाने के बाबत प्रार्थना पत्र दे कर मांग की किन्तु अपेक्षित परिणाम ना मिलने की वजह से उन्हें जन सूचना अधिकार का सहारा लेना पड़ा, जिसके जवाब में उपायुक्त स्वतः रोजगार ने साफ़ शब्दों में लिखा है की जनपद स्तर की बैठकों में विभिन्न माध्यमों से सरस हाट को ले कर शिकायतें प्राप्त की जाती रही हैं !
तथा खण्ड विकास अधिकारियों को सरस हॉट का संचालन कराये जाने के लिए निर्देशित भी किया जा चुका है किन्तु अधिकारियों द्वारा कोई सार्थक कार्यवाही नही की गयी है जो की नितांत आपत्ति जनक है इस सम्बन्ध में अविलम्ब सभी सरस हाटों का संचालन प्रथमिकता पर कराये जाने हेतु खण्ड विकास अधिकारी को पुनः आदेशित किया गया है।